Thursday, April 30, 2009

आँखों देखा स्वर्ग

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हिन्द-महासागर का मोहक नज़ारा
स्थान-हिंद महासागर (लंग्कावी - मलेशिया)
फोटोग्राफर- नितिन जैन

अंदाज़ा लगायें दिन है या रात?


Tuesday, April 28, 2009

एक बचपन ऐसा भी

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यह चित्र गोमती नगर क्षेत्र का है जहां एक बालिका अपने कद से लंबा कूड़े का झोला अपने कंधे पर लाद कर जा रही है। उसके चेहरे की विवशता भरे भावों ने फोटोग्राफर को यह चित्र लेने पर मजबूर कर दिया। यह चित्र एक प्रश्नचिन्ह है उन सभी के लिये जो इस समाज में रह कर ऐसे दृष्यों को बेचारगी या तरस का भाव दिखाकर टाल देते हैं।


फोटोग्राफर- अनुज अवस्थी। शहर लखनऊ के निवासी। लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक एवं परास्नातक। स्थानीय अखबारों में फीचर लेखन व प्रेस फोटोग्राफी का शौक। वर्तमान में पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में आई0ई0सी0 अधिकारी के पद पर कार्यरत। क्षय रोग से संबंधित सभी सूचनाओं को लोगों तक पहुँचाकर उन्हें विभिन्न माध्यमों द्वारा जागरूक करने में प्रयासरत।


Monday, April 27, 2009

ईश्वर की एक और अद्भुत रचना

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जल के अंदर की मनमोहक दुनिया
स्थान-अंडरवाटर वर्ल्ड (लंग्कावी - मलेशिया)
फोटोग्राफर- नितिन जैन


Saturday, April 25, 2009

फिर वादा करके जाता सूरज

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पेनांग बीच (समुद्र का किनारा) पर होता सूर्यास्त
स्थान-लंग्कावी (मलेशिया)
फोटोग्राफर- नितिन जैन


Thursday, April 23, 2009

अपनी ही पृथ्वी पर

नितिन जैन के रूप में हिन्द-युग्म को नया प्रतिभावान फोटोग्राफर मिला है। पिछली बार आपने व्हाइट सेंड बीच, मेंग्रोव नदी और हिन्द महासागर के चित्र देखे। आज विश्व पृथ्वी दिवस पर देखिए इन्हीं के कैमरे से अपनी धरती का एक खूबसूरत नज़ारा-

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हिंद महासागर में एक मोहक दृश्य
स्थान - हिंद महासागर (लंग्कावी - मलेशिया)


Sunday, April 19, 2009

nature in its best


ये तस्वीर उन दिनों की है जब मेरा प्रेम पहाड़ और पहाड़ की खूबसूरती की ओर अपनी चरम पर था, मेरा लगाव पहाड़ से हमेशा से ही रहा है, बचपन से माँ ने हिमालय की इतनी कहानियां सुनाई कि लगता था की न जाने हिमालय और उसके सौन्दर्य को कभी समेट भी पाऊँगा या नहीं. इतनी विचित्र कहानियां कहानियां और उसके इतने भोले पात्र. लगता था कि किस दुनिया की बात कर रही है माँ, कि क्या वाकई में ऐसी जगह है जहाँ देव खुद वास करने को आतुर होते हैं? क्या वाकई धरा पर कोई देव भूमि है? पंचतंत्र की इन्ही कहानियो ने मन में ऐसी जगह बनाई की मन मचलने लगा हिमालय की वादियों में विचरने को. को शायद भोले मन की कामना रही होगी या तीव्र इच्छा की पिछले कुछ वर्षों में कई बार सौभाग्य प्राप्त हुआ हिमालय की गोद में सर रखने का और उसके आँचल में विचारने का, वाकिये देव भूमि है ये. कभी समय हो तो रामनगर से ऊपर हो आइये, प्रकृति अपनी खूबसूरती की चरम सीमा तक बिखरी पड़ी है.
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Saturday, April 18, 2009

व्हाइट सेंड बीच, मेंग्रोव नदी और हिन्द महासागर

आज से हम एक नये फोटोग्राफर के चित्रों के प्रदर्शनी लगाने जा रहे हैं। हिन्द-युग्म से नवम्बर २००८ में जुड़े सॉफ्टवेयर इंजीनियर नितिन जैन को फोटोग्राफी का भी शौक है। पिछले दिनों ये मलेशिया और इंडोनेशिया की यात्रा पर थे। वहाँ की सुनहली यादों को इन्होंने कैमरे में कैद किया है ले आये हैं आपके लिए। आप खुद देखें कि दक्षिण एशिया कितना सुंदर है !

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होटल (जहाँ नितिन रुके थे) के पीछे से समुद्र का एक सुन्दर दृश्य
स्थान - व्हाइट सेंड बीच (लंग्कावी - मलेशिया)


छोडो तैरना, उड़ चलें सागर से अम्बर तक
स्थान - व्हाइट सेंड बीच (लंग्कावी - मलेशिया)


मिलन की राह
स्थान - मेंग्रोव नदी का हिंद महासागर से मिलाप (लंग्कावी - मलेशिया)


Friday, April 17, 2009

Divija


आज सुबह की मेरी शुरुआत इस तस्वीर से हुई. मैं ऑफिस जाने के लिए तयार हो रहा था और इधर मेरी दो साल की बेटी को शरारतें सूझ रही थी.
आप समझ सकते हैं की ऐसे में न आप नाराज़ ही हो सकते हैं और न ही उनके साथ खेल सकते हैं. बस उसकी इन्ही शरारतों के बीच मैंने अपना कैमरा निकाला और कुछ तस्वीरें खींचने की कोशिश की, पर यकीन मानिये इन छोटे नवाबों की तस्वीरें लेना भी कहाँ आसान हैं. बस किसी तरह दो एक तस्वीरें लेकर निकला ऑफिस को, कैमरा साथ ही ले आया था और उसी से ये तस्वीर अपलोड कर रहा हूँ.

ये है मेरी दो साल की नन्ही शैतान, मेरी बेटी "दिविजा"

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Wednesday, April 15, 2009

Delhi-6


ये तस्वीर मेरे हाल ही में खींचे दिल्ली-६ की श्रृंखला में से है. आप पीछे के भाग में जामा मस्जिद को देख सकते हैं. दिन की आखिरी किरण के साथ यह उस दिन की मेरी आखिरी तस्वीर थी I
चांदनी चौक यानी दिल्ली- ६, Portrait, Street और Candid photography के लिए हमेशा ही पहली पसंद रहा है. परन्तु पुरानी दिल्ली की गलियों में तस्वीर खींचना हमेशा ही चुनौती भरा रहता है, गलियां इतनी संकरी हैं कि तस्वीर के लिए सही रौशनी मिलना बहुत मुश्किल होता है और उस पर इतनी भीड़ में सही एंगल का मिल पाना पेरशानी भरा रहता है, लेकिन पुरानी दिल्ली कि तस्वीरों का मुकाबला और कोई जगह नहीं कर सकती शायद यही वजह है कि यह जगह हर फोटोग्राफर की exhibition का हिस्सा बनती है.

उम्मीद है की ये तस्वीर आपको पसंद आएगी. इस चित्र को बड़ा कर के देखने के लिए, कृपया इस पर क्लिक करें.

धन्यवाद सहित
आपका अनुज
मनुज मेहता