Tuesday, March 18, 2008

अपने पड़ोसी देश में रहने वाले लोगों के लिये दुखी हूँ

हिन्द-युग्म ने २४ नवम्बर राजीव रंजन प्रसाद के आवास पर हुई बैठक (जिसमें कहानी पर एक लघु कार्यशाला भी हुई थी) में यह तय किया गया था कि चित्र (पेंटिंग) और छायाचित्र का भी एक मंच बनाया जाय। बिना सक्रिय हाथों के यह कार्य मुश्किल था। इसलिए शुरू करने में विलम्ब हो रहा था।


(Old Lady Free Tibet)


कल हिन्द-युग्म के फ़ोटोग्राफर मनुज मेहता ने हिन्द-युग्म को एक ईमेल भेजा जिसमें उन्होंने यह ज़िक्र किया कि वो फिलहाल 'डिस्कवरी' टीवी चैनल के लिए तिब्बत पर कवरेज़ ले रहे हैं, वहाँ पर तिब्बतियों पर हो रहे अत्याचार को देखकर बहुत दुखी हैं। उन्होंने तिब्बतियों द्वारा हो विरोध प्रदर्शनों की कुछ तस्वीरें भी हमें भेजी।

उनका ईमेल अंग्रेज़ी में था और लिखा था कि वो चाहते हैं कि हिन्द-युग्म इस पर आवाज़ बुलंद करे। हिन्द-युग्म ने सोचा कि 'चित्र और छायाचित्र' शुरू करने का यही बेहतर अवसर है। हम उनके ईमेल का अनुवाद और मनुज मेहता द्वारा वहाँ ली गईं तस्वीरों के माध्यम से यहाँ उपस्थित हैं।

प्रिय हिन्द-युग्म,

मैं यहाँ तिब्बत के ज्वलन्त विषय पर लगातार कवर कर रहा हूँ और मानवता की खातिर तिब्बती लोगों की आवाज़ सब तक पहुँचाने में लगा हुआ हूँ।


(Slogan Shouting)


कल दोपहर को ल्हासा में तिब्बती लोगों ने चीनी सैनिकों के खिलाफ़ जोरदार प्रदर्शन किया जिसमें १५० भिक्षु मारे गये।


(Rinchen)


मैं २४ वर्षीय एक युवती का इंटरव्यू ले रहा था जो चीन में राजनैतिक बंदी थी। उसने अपने ऊपर हो रहे जुल्म के बारे में बताया कि कैसे जेल में उसका यौन शोषण किया गया और जब वो ४ माह की गर्भवती थी तब उसके गर्भ का ऑप्रेशन करके उसका भ्रूण निकालकर उसे ६००० रूपये में बेच दिया गया जैसे चीन में ये कोई शौक हो।


(Panchen Lama)


दोस्तों, मैं जब उसकी आपबीती सुन रहा था तब मेरी आँखें नम थीं। न जाने कितने ही लोग आज भी चीनी सैनिकों के बँधक हैं।

मुझे लगता है कि आप लोग तक ल्हासा में हुए नरसंहार की खबर पहुँच गई होगी कि कैसे बौद्ध भिक्षु जो आध्यात्मिक तौर पे सबसे जुड़े हुए होते हैं व किसी को नुकसान नहीं पहुँचाते वे भिक्षु अपने ही देश में मारे जा रहे हैं।

आज सुबह मुझे धर्मगुरू दलाई लामा जी का प्रेस को दिया गया संदेश मिला जिसमें वे कहते हैं किः
तिब्बत में आजकल जो हालात हैं उस पर बहुत चिन्तित हूँ जिसके बाद पूरे देश में जगह जगह शान्तिपूर्वक प्रदर्शन हो रहे हैं। ये आंदोलन तिब्बती लोगों के मन में वर्तमान सरकार के प्रति आक्रोश का प्रदर्शन ही है।


(Free Tibet Protest)


कल सुबह (१६ मार्च २००८ की सुबह) ९.३० बजे कीर्ति मोनेस्ट्री (एमडो प्रांत) में, जो हमेशा ही चीनी सेना से घिरा रहता है, करीब हजार भिक्षु कड़े सुरक्षा प्रबंध को तोड़ कर भाग निकले और मोनेस्ट्री के बाहर ही हजार की संख्या में मौजूद आंदोलनकारियों से मिल गये। उन प्रदर्शनकारियों पर आँसू गैस का इस्तेमाल किया गया और सूत्रों के मुताबिक उन पर गोलियाँ भी चलाई गईं।

सूत्रों की मानें तो उनकी लाशों को ल्हासा के पब्लिक सिक्यूरिटी डिपार्टमेंट के सामने डाल दिया गया। और इस बात का भी पता चला है कि १४ मार्च को ही १०० अन्य लोग ल्हासा में मार डाले गये।

चीन ने अपनी तरफ से जारी एक फुटेज में ल्हासा के दंगों को दिखाया जो तिब्बत में पिछले २ दशकों की अशांति का सिग्नल देती है व लोगों को आत्मसमर्पण की एक डेडलाइन दी है।

इसी बीच तिब्बत के एम मुख्य निर्वासन गुट ने बताया की चीनी सैनिकों ने १०० अन्य लोगों की निर्मम हत्या की है व कईं प्रदर्शनकारी इसमें घायल हुए हैं।


(Women's Protest in Tibet)


मैं भारत में इन प्रदर्शनों को कवर करने की पूरी कोशिश कर रहा हूँ और अपने पड़ोसी देश में रहने वाले लोगों के लिये दुखी हूँ को निर्दोष, आध्यात्मिक और 'मानव' हैं।

मैं हिन्दयुग्म से गुजारिश करूँगा कि यदि ये हिंद-युग्म की साइट पर आ जाये तो पाठकों तक भी इस विषय में बात पहुँच जाये।

धन्यवाद

-मनुज मेहता


अनुवाद- तपन शर्मा

(इसी विषय पर कविता के रूप में राजीव रंजन प्रसाद की प्रतिक्रिया पढ़िए।)