Friday, May 8, 2009

ज्ञान को कोई दरवाजा कहाँ रोक पाया है

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पुरानी दिल्ली की गलियों में जब भी गुज़रता हूँ तो कई अलग बातों का अनुभव होता है. जैसे की सुना करते थे कि ज्ञान को कोई नहीं रोक सकता, कोई ताकत नहीं छुपा सकती. अब इसे ही देखिये कि एक बंद दरवाज़े पर कितना कुछ लिख दिया गया है, जैसे कि ज़िन्दगी भर का किसी ने जोड़ घटा यहीं निकाल लिया हो.
क्या ज़िन्दगी का फलसफा भी यही नहीं है. कितनी ही चीज़ों कि तरफ तो हम अपने को बंद ही रखते है, शायद प्यार और अपनेपन का भी दरवाज़ा हमने बंद कर दिया है और चाबी शायद खो दी है. हम बस बंद दरवाज़े कि तरह आँखें मूंदे अपनी ज़िन्दगी को खेते चले जा रहे हैं. बिना बात का हिसाब जोड़े न जाने किस मुगालते में हैं.
उम्मीद करता हूँ कि यह चित्र आप सब को पसंद आएगा.
ये चित्र स्टिल लाइफ श्रेणी के अर्न्तगत आता है

आपका अनुज
मनुज मेहता


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4 पाठकों का कहना है :

Sajeev का कहना है कि -

ok now this is somthing i want to see here....pics with some thoughts ....great work

Divya Narmada का कहना है कि -

bahut kuchh kahata huaa chitr

rachana का कहना है कि -

जी सही है कोई दरवाजा ज्ञान को नहीं रोक सकता बस पाने की अभिलाषा होनी चाहिए
सादर
रचना

Gevaa का कहना है कि -

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